जादूगर...
जादूगर...
तुम जादूगर हो
जो मुझपें जादू कर दिया
क्या कहँ दिया आँखोंने
की हमसे कुछ भी कहाँ ना गया...
हवायें चलती है या आंधी आती है
क्या खबर जमाने की हमे
सिर्फ आपके खयालो में फिजा बहती है
ये आँखे है जो तुम्हारी प्यार प्यार घोलती है...
फिसलन बढ़ी है उपरसे नाजुकसा मोड है
तुम्हारी बाहों की गलियोंमें ही
हमारा आखरी छोर है
अब पहुचना चाहते है खुद से मिलना चाहते हैं...
यें जादुगरी काम कर गई
हम रुके रहे जिंदगी नाम कर गई
बस वक्त थम गया है यही
और जन्मों की गाठ बंध गई...
