यूं तेरे साये से भी ...
यूं तेरे साये से भी ...
यूं तेरे साये से भी
हम डरने लगे
कहीं इजहार ना
कर बैठे कहने लगे ...
कारम सासों की
एहसासों सें बेकरार होने लगे
देख के आपको ही
क्युँ नजरे चुराने लगे...
वैसे तो कोई बात नहीं
खुद को ही झूठी तसल्ली देने लगे
बह चले आपकी तरफ
रोकने की नाकाम कोशिश करने लगे...
समंदर हो तुम मेरे लिये
मैं बहती नदी आप में घुलने लगे
नमकीन सी मोहब्बत में
हम भी थोडा नमकीन होने लगे...

