STORYMIRROR

Apoorva Singh

Abstract

3  

Apoorva Singh

Abstract

शहीद

शहीद

3 mins
247

हुआ आतंकी हमला फिर

कश्मीरी पुलवामा में,

कायराना हरकत फिर

भारत के स्वर्गनामा में।

 

छुट्टी से वापस आए

खुशी थोड़ा गम लाए,

याद करते उन पलों को

राह काटते नज़र आए।

 

स्मरण करते पिता का गौरव

अपने लिए उनकी आँखों में,

माँ का चेहरा आए सामने

हर लफ्ज़, हर बातों में।

 

भाई की ज़िद पे हार है मानी

अगली बार है बाइक दिलानी,

बहन की है शादी करनी

खुशियों से झोली है भरनी।

 

वक़्त ना मिला इस बार

ना ही मिला पिछली बार,

अगली बार आऊँगा

ख्वाहिशें पूरी कर जाऊँगा।

 

याद आती है खिलखिलाहट

बच्चे की पूछनी है खैरियत,

मासूम सी उसकी मुस्कान

बनेगा वो मेरी शान।

 

किसे पता था मौत खड़ी

रास्ते में मारने को भिड़ी,

पलक झपकते दूर हो गया

हर सपना चूर हो गया।

 

कोई हिन्दू, कोई मुस्लिम,

कोई सिख जवानों में,

कहीं पड़ा सिर कहीं धड़

कहीं कलेजा आंतों में।

 

किसी बाप की लाठी टूटी

किस्मत हुई किसी की फूटी,

आँसू गिरा ना फिर भी एक

समझाया खुद को खबर है झूठी।

 

किसी माँ की ममता बिलखती

कहीं किसी की आत्मा सिसकती,

किसी की भरी गोद हुई सूनी

कहीं किसी की कोख है उजड़ी।

 

किसी बच्चे का कवच है टूटा

कहीं किसी का सहारा छूटा,

साया हटा किसी के सिर से

किसी का हँसता चेहरा रूठा।

 

किसी ने मिटाया सिंदूर

किया खुद को रब से दूर,

किसी की मेहंदी भी ना छूटी

हुई तकदीर किसी की रूठी।

 

बर्बाद हुए कितने घर

याद करेंगे जीवन भर,

तुम नहीं हारे हो

अपने मुल्क के तारे हो।

 

हिन्द वतन है जान हमारी

यही तो है शान हमारी,

याद करेगा तुमको भारत

करेगा पूजा और इबादत।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract