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Om Prakash Fulara

Abstract

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Om Prakash Fulara

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ईर्ष्या

ईर्ष्या

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ईर्ष्या किससे

जो आगे बढ़ रहा है

प्रगति की सीढ़ियाँ चढ़ रहा है

या उससे जो बैठा है 

भाग्य के भरोसे 

ईर्ष्या किससे ?


ईर्ष्या क्यों

जिसे जो मिला

उसके कर्मो का फल है

कर्म से आज और बनता कल है

सुख भोग सब नियत है

कर्म पर।


क्यों जल रहे हो

अपने सपने जला रहे हो

सोचो

जिससे जल रहे हो

इस जलन का


उस पर क्या असर है

कुछ नहीं

खुद जल रहे हो

धुआँ भी नही निकल रहा

बस तुम्हारा भविष्य

पिघल रहा है।


ईर्ष्या छोड़ो

कर्म करो

सीख लो कुछ उससे

जिससे ईर्ष्या है


भविष्य बनेगा

सितारा चमकेगा

बुलंदियाँ छू लोगे

फिर कोई और जलेगा

जलने मत दो।


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