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Om Prakash Fulara

Abstract

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Om Prakash Fulara

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डरो ना

डरो ना

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भी क्यों डरे हो,

दुख रहत नहीं,

है सदा ही किसी के।


छोड़ो माया बसी जो,

रहत दुख सभी,

साथ में ही इसी के।


फैला है जाल जो भी

उर यह तम का

दो मिटा आज सारा।


तुम्हारे भाग्य में भी

सकल जगत का,

नित्य है राज सारा।


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