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Om Prakash Fulara

Abstract

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Om Prakash Fulara

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आत्मचिंतन

आत्मचिंतन

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आत्मचिंतन जो करता, सुखी वही है आज

मन भ्रमित नहीं होत है, बनते सारे काज


आत्मचिंतन से मिलती, नित्य सभी को राह

मन विकार सारे मिटे, नहीं रहेगी चाह


निज सुख बढ़ता ही रहे, दूजा भी सुख पाय

आत्मचिंतन में रहते, सारे कष्ट-उपाय।


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