STORYMIRROR

Om Prakash Fulara

Abstract

3  

Om Prakash Fulara

Abstract

आत्मचिंतन

आत्मचिंतन

1 min
360

आत्मचिंतन जो करता, सुखी वही है आज

मन भ्रमित नहीं होत है, बनते सारे काज


आत्मचिंतन से मिलती, नित्य सभी को राह

मन विकार सारे मिटे, नहीं रहेगी चाह


निज सुख बढ़ता ही रहे, दूजा भी सुख पाय

आत्मचिंतन में रहते, सारे कष्ट-उपाय।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract