STORYMIRROR

Deepika Guddi

Abstract

3  

Deepika Guddi

Abstract

शुक्रिया : दीया का

शुक्रिया : दीया का

1 min
338

दीवाली की सुबह जब दीया को देखा 

तो दिल में कसक सी उठी

कैसे कहूँ शुक्रिया उन दीयों का 

जिन्होंने कल रात ही खुद को जलाकर 

दुनिया को रोशनी दी है ..


ज़रा सा शरमाई हुई सुर्ख़ लाल दीयों ने 

भी बड़े प्यार से कहा -

ये दुनिया का दस्तूर है साहब .!

रोशनी देने का इरादा अपना होता है 

तो जलाना भी खुद को पड़ेगा ..

फिर ये अदब की उम्मीद भी क्यूँ करें

बस ये तो मेहरबानी है ख़ुदा की 

और बड़प्पन है उस कुम्हार का जिसने

हमें ऐसा गढ़ा की आज इंसान ने 

भगवान के आगे हो या 

अंधेरी रातों में 

ख़ुशी हो या ग़म में 

हमें ख़ुद को जलाकर

लोगों को खुशियाँ देने की हमारी 

ज़रा सी कोशिश को दिल से नवाज़ा

शुक्रिया तो आप सब का 

दीया के दिल से 

शुक्रिया ..! 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract