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Deepika Guddi

Abstract

4.7  

Deepika Guddi

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मैं एक नारी हूँ

मैं एक नारी हूँ

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ऐ दुनिया कहना तो बहुत कुछ है तुझसे 

पर कहती नहीं 

ख़ामोशी में ही तेरी बेहतरी समझतीं हूँ 

तू मेरी ख़ामोशी को कमज़ोरी का नाम न दें

मैं कमज़ोर नहीं -

कभी बेटी तो कभी पत्नी हूँ 

बहूँ हूँ और जननी भी हूँ

मुझे अकेले रहने का डर नहीं 

बस मुझे परवाह है मेरी दुनिया मेरे परिवार की 

जिसके बिखरने के अहसास भर से घबराती हूँ 


ये तू भी जानता है थोड़ा ही सही 

पर मानता है 

बस जाने क्यूँ जताने से डरता है 

मैं बेबस नहीं -बेचारी नहीं

मैं - मोहब्बत हूँ -परवाह हूँ और 

ममता से भरी माँ हूँ 

जो ग़म सह कर भी मुस्कुराना

और मुस्कुराहट बिखरने की कला जानती है 

रात भर जाग कर सबको प्यार की

थपकी से सुलाना जानती है 

खुद ख़ाली पेट रह कर पहले अपनों का

पेट भरना में अपनी ख़ुशी मानती है 

तू सुन ले ऐ बेख़बर..

तेरी हर ख़बर भी रखना जानती हूँ 

कहना तो है तुझसे बहुत कुछ

पर ख़ामोशी में ही अपनी ख़ुशियाँ

तलाशती हूँ 

क्यूंकी ऐ दुनिया मैं तेरे लिए 

ख़ुदा की तराशीं हुईं अनमोल सौगात हूँ

मैं एक नारी हूँ !!


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