दो किनारे
दो किनारे
हर पल मुझे अब महसूस होने लगा है
तेरी कमी थोड़ी ज़्यादा दुखने लगी है
ऐसा लगने लगा है जैसे
सालों से नदी की तरह बह रही हूँ
अपने समुंदर में सामने के लिये
पर अब यक़ीन डगमगाने लगा है
दिल दुख रहा है ये सोच कर भी
हम और हमारा प्यार तो शायद
नदी के वो दो किनारे हैं
जो साथ में लगातार बह कर भी
कभी अपने समंदर में समा न सकेंगे
यूँ ही कहीं बिलुप्त हो जाएँगे
बहते - बहते एक दिन किसी रेगिस्तान में
और एक दूजे के लिय
बस रह जाएँगे बनकर
नदी के दो किनारे …..