डिजिटल- होली
डिजिटल- होली
देखो देखो होली आईं.।
तन को मन को प्यार के नीले - पीले
लाल- गुलाबी रंग़ो में रंग
भर अंग से अंग लगाने आई
बलम की पिचकारी से या
रंग भरे ग़ुब्बारे से
ख़ुशी के रंग में सराबोर करती
ये है रंगो का त्योहार
ये है खाने और खिलाने का त्योहार
गुज़िया हो या ठंडाई की चुस्की
ये है मस्ती का त्योहार
सबका प्यारा रंग़ो का त्योहार..
ठंडाई के नशे में चूर युवा दिल
की धड़कन को और धड़काना हो
या हो नये- नवेले जोड़ों का नैन से नैन मिलना हो
देवर- भाभी की छेड़खानी हो या हो
जीजा- सालीं की मस्ती
आयी - आयी सबकी चहेती होली आयी ।!
सब मिल एक़ और क़सम निभाते हैं
नयीं तरकीब से होली मनाते हैं
कोरोना को भगाते हैं
जायों गुज़री -दीवाली डिजिटल मनायी
इस बरस सब मिलकर होली भी
डिजिटल मनाते है ..!