बारिश : अहसास
बारिश : अहसास
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
बारिश की पहली बूँद जब प्यासी धरती पर पड़ती है
तो धरती में यूँ समाती है जैसे ..
पानी की बूँद का अपना कोई अस्तित्व ही नहीं
कुछ वैसे ही हम आप के प्यार खोते गये
जहां हम - हम न रहें …
आसमान से बारिश की बूँदे लगातार
झम - झम के बरसेगी तब बूँदे
धरती की खुशबू को अपने आगोश में समेटे
समुद्र में समाएगी ..
वैसे ही मेरी ज़िंदगी अब आप की
हर साँस की खसबू ले कर किसी दिन
आसमान में सितारे की तरह चमकेगी
तब शायद आप को हमारे साथ -साथ
बहने का अहसास होगा प्रिय तब - तब यूँ ही हमें ढूँढ लेना
और न मिले सामने तो प्यार से आसमान
की तरफ़ देखकर शायद फिर से हम
बूँद बनकर आपके चेहरे पर गिर जाएँगे और आप
सुकून को मुस्कान से महसूस कर लोगे
तब हम और हमारा प्यार मुक्कमल होगा
जैसे बारिश और धरती का मिलन मुक्कमल होता है।