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Deepika Guddi

Romance

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Deepika Guddi

Romance

अधूरे-अधूरे हम

अधूरे-अधूरे हम

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अधूरी सीं ज़िंदगी का फ़लसफ़ा

अधूरे -अधूरे से सारे ख़्वाब 

अधूरा सा क्रंदन - हँसी अधूरी सी 

अधूरा सा दिन और रात अधूरी सी 

अधुरे- फीके से मौसम सारे

या यूँ कहूँ बिन तेरे अधूरें रे हम .!


वैसे ही जैसे चाँद बिन चकोर

जल बिन मछली 

सूरज बिन चाँद की रौशनी

दुल्हन बिन दूल्हा

पी बिन सुहागन और 

दिल बिन धड़कन .!


तेरे इंतज़ार में यूँ गुज़रता वक़्त

हर- पल कर्ण के पर्दों को चीरतीं-

चीख़ती क्रंदन भरें स्वर में कहती -

अब तो ये मन भी हुईं कस्तूरी रे

जग से हुई दस्तूरी रे 

जैसे नाचतीं लटूँ अपनी 

धुरी बिन अधूरी रे ..


न सताओ -अब तो लौट जाओं तुम

बिन तेरे अधूरे - अधूरे रे हम .!


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