बातें : अनकही
बातें : अनकही
जब- जब उसकी गहरी
आँखों में झाँकने की कोशिश की
उसकी खामोशी ने न सही
आँखों की गहराईं में
कुछ दर्द भरी कुछ अनजानी सी
बातें अनकही सी
नज़र आयी!
उसका सौम्य शांत चेहरा
जैसे ठहरा हुआ शांत समंदर
कभी नीली - तो कभी हरी
गहरी अनबूझ पहेली सी
जैसे तूफ़ाँ के पहले चेतावनी भरी
बातें कहती नज़र आयी
इंसान तो चाहे जो बोल दे
पर उसकी दबी-दबी चिढ़ाती मुस्कान
में छुपे ढेरों अंतहीन
बातें अनकही नज़र आयी...
उसका यूँ
पास से गुज़र जाना और
झुकी हुई पलकों का
अचानक मेरी तरफ़ उठ कर
फिर झुक जाना
बिन ज़ुबां खोले
बातें अनकही सी बोलती नज़र आयी..
आज की डरी सहमी सी वो लड़की -
जो कभी खिलखिला कर हँसा करती थी
उसकी, मन को झकझोरती चिढ़ाती हुई ख़ामोशी
उसके सिले ज़ुबान की भाँति
बातें अनकही सी कहती नज़र आयी!