प्रीत की पाती
प्रीत की पाती
आ सको तो आज आओ, कल का वादा मत करो
कल मेरी साँसों की माला टूट जाए क्या पता
रेशमी रिश्ते है और अहसास मलमल डोरियाँ
वक्त की फिसलन में अपने छूट जाए क्या पता
मैं सुबह हूँ गाँव की तुम शहर की शाम हो
मैं दुआ का गीत हूँ और तुम मेरे भगवान हो
आस को आकाश दो पत्थर की मूरत मत बनो
फिर मेरी आँखों से सपने रूठ जाए क्या पता
प्रीत की पाती लिखूँ या पीर का परवान दूँ
पास बैठो और छुओ कैसे तुम्हें आवाज़ दूँ
हुस्न का नायाब हीरा नूर का फानी महल
उम्र का वहशी लूटेरा लूट जाए क्या पता