STORYMIRROR

Dheeraj Dave

Fantasy

3  

Dheeraj Dave

Fantasy

सोचना

सोचना

1 min
211

सोचने के पैसे लगते है?

नहीं!

तो तुम सोचती क्यूँ नहीं,

हमारा साथ

हमारा घर,

बारिशें 

खिड़कियां 

गैलरी

किताबें 

चाय

पहाड़

पकौड़े

औऱ अगर तुमने सोच रखा है

हमारा अलग होना,

किसी जंगल को 

सुलगता हुआ देखती हो तुम,

तुम्हारे दिमाग मे 

पहाड़ के तले 

दबकर मर रहा है कोई गांव

तो सुनो! 

मान लो

सोचने के पैसे लगते है....



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy