मर्ज़ एक तरफा
मर्ज़ एक तरफा
हिचकियों से थी
अवरुद्ध श्वास उसकी
चेहरा था अश्कों से
इस कदर भीगा हुआ
असमंजस की पतली सी
डोरी गहरी पर वो था
बेहद चिंतित खड़ा
जाहिर सी बात थी
जाने अनजाने
किसी अपने ने
पीठ पीछे
धोखा दिया
हिचकियों से थी
अवरुद्ध श्वास उसकी
कोशिश करने की कोशिश में
पड़ा मैं समझाने की उलझन में
तनाव से खुद मेरा अस्तित्व भर गया
हालात काबू से बाहर थे
चोट सद मे की इस कदर
गहरी और कटीली थी
कुछ भी समझाना इक पहेली थी
सब कुछ ईश्वर के सुपुर्द किया
हिचकियों से थी
अवरुद्ध श्वास उसकी
किसी अपने ने
पीठ पीछे
धोखा दिया
