ऐलान – ए – इश्क
ऐलान – ए – इश्क
हैवानियत की हदें पार कर के दिखाऊँगा तुझे।
प्यार जितना किया था उतना ही सताऊँगा तुझे।
दूर मुझसे अगर गई तो होने न दूंगा किसी और की।
मुश्किलें कितनी भी आयें अपना बनाऊँगा तुझे।
इश्क का खेल अभी तूने देखा ही कहाँ है जानम।
इश्क के खेल की बारीकियाँ समझाऊँगा तुझे।
दर्द झेला है जुदाई का तेरी जफाओं की खातिर।
ऐसे ही दर्द से अब साबका तिरा कराऊँगा तुझे।
मैं नहीं कहता तू मुझसे हर दम बात ही करे।
मैं नहीं कहता की मिरी चाहतों का हमेशा दम तु भरे।
मैं नहीं कहता मेरे नाम का परचम फहराना तुम।
किसी और का जो नाम लिया तो सबक सिखाऊँगा तुझे।
हद हो गई है इश्क के जुनून की अब तो अरुण।
एक तरफा नियमों का किया है खुलासा आशिक ने बा कसम।
ये इश्क है, या है जबरदस्ती ये पूछते हैं हम।
प्यार को परसतिश कहने वालों, क्या बताओगे तुम।