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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Tragedy

4.5  

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Tragedy

तपन

तपन

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मन खुश कहां है

बस एक बहाना हुआ है

जैसी मेरी जिंदगी 

वैसी ही तोहरी स्थिति

सजन अब कौन 

किसका यहां है।

काम बस गुजारे 

लायक हुआ है

तृप्त होकर व्योम

बेसुध सा पड़ा था

पांच दिन से भास्कर 

भी थका हुआ था 

रीति नीति भूलकर

अनीति से बहस में

हारा तिरस्कृत परित्याग

के दंश से अपमानित

गुस्सा जिसका अब 

समग्र विश्व झेल रहा था।


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