यदा यदा ही धर्मस्य, ग्लानिर भवति भारत :
यदा यदा ही धर्मस्य, ग्लानिर भवति भारत :
माँ भारती के सपूत हैं हम, काम हमारा रक्षण।
कफ़न बांध कर रहते हैं, नाम हमारा रक्षक।
सीमाओं के पहरे दार हैं हम, कर्तव्य से बंधे हुये।
न्याय व्यवस्था को लेकर हम धरती पर हैं प्रगट हुये।
डिगा दे निश्चय से हमें अपने ऐसा न पैदा हुआ।
आदेश संविधान के रूप में मात्र हमारा सृजन हुआ।
अरि के लिए काल हैं, मित्र के लिए सहारा हैं।
सीमा लांघ कर जो - जो आया वही दुश्मन हमारा है।
सदैव - सत्य - निष्ठा मूल मंत्र का ज्ञान -संज्ञान हैं हम।
हमसे जो झगड़ा करता उसके परलोक का विधान हैं हम।
धर्म का पालन करना हमको सिखाया जाता है।
सबसे पहले, मानव रक्षण यही पाठ पढ़ाया जाता है।
देश रक्षा में, मृत्यु का वरण सामान्य सी बात लगती है।
भारत देश की हर नारी हमें फौजी भाई कहती है।
भारत संस्कृति में सभी के मित्र, बेटे के समान हैं हम।
आपदा आये अगर कैसी भी, उसके लिए चट्टान हैं हम।
मुकाबला हम से कर पाना, खाला जी का घर नहीं।
आंधी हो, तूफ़ान हो, या कोई झंझावात हो हमें फ़िकर नहीं।
रात और दिन हम सजग, चुस्त दुरुस्त तैनात हैं।
जब मिले मौका शांति काल में निद्रा देवी मेहरबान हैं।
माँ भारती के सपूत हैं हम, काम हमारा रक्षण।
कफ़न बांध कर रहते हैं, नाम हमारा रक्षक।
सीमाओं के पहरे दार हैं हम, कर्तव्य से बंधे हुये।
न्याय व्यवस्था को लेकर हम धरती पर हैं प्रगट हुये।