STORYMIRROR

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Classics

4  

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Classics

नर नारी मनोनयन

नर नारी मनोनयन

1 min
187

मेरी स्मृति मेरी अनुभूति 

तेरी सहानुभूति

मात्र मेरा अनुमान था।। 

तू महज कुछ और नहीं 

एक दूसरा इंसान था।। 


सच गलत के बीच एक छोटा सा 

मुगालता ही तो मेरे लिए पहाड़ था।। 

समय रहते समझ पाना जिसे मुझसे

ना समझ के लिए सबसे बड़ा व्यवधान था।। 


ना ही स्वीकारूँगा इसे ना ही नकारूँगा इसे।। 

एक तरफ़ा बात होती तो बात ही कुछ और थी 

बस इश्क का यही एक इकलौता वरदान था।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics