तेरी यादें
तेरी यादें
हां तेरी यादों ने हमें
चुप्पी के बस्ते का
नायक बना दिया...
बात इतनी सी
तरफदारी उसकी
कि ...
खुद को
कसूरवार बना दिया..
सच उड़ते थे हम
हवाओं में बस
स्वप्नों के
गगन में कभी...
उसने कभी भी
जाते-जाते
मुझे
अपने होने एहसास के रंगमंच में अपना बना दिया..
आज भी तेरी यादों की अभिलाषा ने हमको बेगाना सा बना दिया।
