शीर्षक - इंसान.... बस एक गुरुर
शीर्षक - इंसान.... बस एक गुरुर
शीर्षक - इंसान..... बस एक गुरुर
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बीते पल न याद कर ।
गुजरे जिंदगी हंसकर ।
सच न सोच समझकर।
जीवन में न हमसफर।
हां अवसर और सफ़र।
तेरा मन और शरीर।
हर एक शख्स मगरुर।
रिश्ते नाते राहगीर।
बस ,यही रंगमंच के किरदार।
आप हम तुम वो .... ए मुसाफिर।।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उत्तर प्रदेश
