अपने से
अपने से
इस दुनिया में न जाने कितने लोग यूं ही मिल जाते हैं।
अनजान होकर भी अपने से लगने लगते हैं।
मिलकर भी कही खो जाते हैं।
भूल कर भी हमेशा याद आते हैं।
चुपके से दिल में घर कर जाते हैं।
दिल में आकर हमेशा बस जाते हैं।
अनजान राहो पर कभी-कभार टकरा जाते हैं।
फिर भी अनजान बनकर रह जाते हैं।
बेजान से ये रिश्ते मन को भा जाते हैं।
अपने न होकर भी, अपने से लगते हैं।
इस दुनिया में न जाने कितने लोग यूं ही मिल जाते हैं।
अनजान होकर भी अपने से लगने लगते हैं।