प्रेम पथिक
प्रेम पथिक
प्यासा पथिक मैं प्रेम का
कल्पना परिकल्पना नित्य
निरंतर प्रेम का अमृत विष पान
करता।।
प्रेम हृदय की गहराई भाव
तरंग उमंग है प्रेम अनुभूति है
आस्था की धरातल पर उमड़ता
आकाश की ऊंचाई उड़ान।।
प्रेम सागर सा गहरा शांत शौम्य शीतल
पवन वेग है प्रेम ही याथार्त।।।
जीवन संदेश है प्रेम करुणा क्षमा सेवा
सत्य है प्रेम की पिपासा की आशा
जिज्ञाशा मानव मूल्य तुक्क्ष महान।।
प्यासा पथिक मैं प्रेम का प्रेम जीवन
अनुराग है प्रेम से प्रस्फुटित बैराग्य।।
प्रेम तो अनवरत जीवन अनुष्ठान।।
मिटती नही प्यास प्रेम मधु मदिरा की
प्रेम तो भक्ति वासना से मुक्त
जीवन सार।।
प्यासा पथिक मैं प्रेम का प्रेम बाँटता
प्रेम लुटाता प्रेम ही जीवन व्यवहार
प्रेम ईश्वर संसार।।
प्रेम पिपासा की मीरा राधा दीवानी
गोपियों के गोपेश्वर प्रेम का महारास।।
प्यासा पथिक मैँ प्रेम का सौंदर्य
आकर्षण माधुर्य प्रेम प्रकाश ।।
प्यासा पथिक मैं प्रेम का प्रेम ही
जीवन यज्ञ अनुष्ठान है।