भारत था कभी स्वर्णिम पक्षी,गर्व अभी तक होता है। स्वर्गिक उज्ज्वल सा भविष्य,सबकी पलकों में सोता है... भारत था कभी स्वर्णिम पक्षी,गर्व अभी तक होता है। स्वर्गिक उज्ज्वल सा भविष्य,सब...
मैं पर्दे के इस पार खड़ा तू पर्दे के उस पार प्रिये। मैं पर्दे के इस पार खड़ा तू पर्दे के उस पार प्रिये।
लोग तो बहुतेरे है बहुतायत है बस उनमें इंसान कितने हैं सब इसी उलझन में घिरे हैं। लोग तो बहुतेरे है बहुतायत है बस उनमें इंसान कितने हैं सब इसी उलझन में घ...
भूल जा, कोइ छूटा अपना, दिल का कोइ टूटा सपना । भूल जा, कोइ छूटा अपना, दिल का कोइ टूटा सपना ।
जब कष्ट पड़ा हो जीवन में हर पल क्यूँ खाली लगता है दिन के उजियारों के संग जब कष्ट पड़ा हो जीवन में हर पल क्यूँ खाली लगता है दिन के उजियारों के संग
विश्वास के चेहरे पे जो कालिख मली गई ऋतू आई थी बसंत की आकर चली गई। विश्वास के चेहरे पे जो कालिख मली गई ऋतू आई थी बसंत की आकर चली गई।