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लक्ष्य की पुकार

लक्ष्य की पुकार

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ये जीवन क्या है? एक सपना।

इसमे लगता सब कुछ अपना।

जब राहों पर चलते-चलते,

छूटे कहीं कोई अपना,

तब दिल को लगता एक सदमा,

फिर भी इस सपने को तू दफना।

क्योंकि तुझको है आगे को बढ़ना,

भूल जा, कोइ छूटा अपना,

दिल का कोइ टूटा सपना।

ऐ पथिक ! तू मत बन कमजोर,

फिर से उन टुकड़ों को जोड़,

तू खुद है किसी का सपना।


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