STORYMIRROR

अजय एहसास

Inspirational

5  

अजय एहसास

Inspirational

नववर्ष का सार

नववर्ष का सार

2 mins
9

मन निर्मल, पावन विचार हो

और मधुर व्यवहार करो

द्वेष, ईर्ष्या जात पात

सब छोड़ सभी से प्यार करो 

नींद त्याग संघर्ष करो 

तुम स्वयं लक्ष्य पा जाओगे

मन मस्तिष्क से आत्मसात् 

नव वर्ष का बस ये सार करो । 


यह जोश नया उत्साह नया 

आनंद नया इस नव क्षण में 

बस लक्ष्य दिखे सोते जगते 

तुमको अपने ही हर प्रण में 

उपयोग करो क्षण- प्रतिक्षण का 

खुद को ऐसे तैयार करो 

मन मस्तिष्क से आत्मसात् 

नव वर्ष का बस ये सार करो । 


मन में प्रगति के बीज उगा 

संघर्ष से लाओ हरियाली 

खुशहाल रहो हर हाल में तुम 

और सबको बांटो खुशहाली 

कृपा भाव और दया भाव को 

स्वयं ही अंगीकार करो 

मन मस्तिष्क से आत्मसात् 

नव वर्ष का बस ये सार करो । 


कर्तव्यनिष्ठ दृढ़ इच्छाशक्ति से 

कठिन वक्त टल जाएगा 

बस कर प्रयास तू बार-बार 

खोटा सिक्का चल जाएगा 

विश्वास रखो और मेहनत से 

दुख कष्टों का संहार करो 

मन मस्तिष्क से आत्मसात् 

नव वर्ष का बस ये सार करो । 


मर्यादित ढंग से रहो सदा 

मन में ना ही कमजोरी हो 

मजबूत रहो अंतर्मन से 

ना ही कोई मजबूरी हो 

मुसीबतों से जीतो तुम 

वो घुटने टेके हार करो 

मन मस्तिष्क से आत्मासात् 

नव वर्ष का बस ये सार करो । 


संसार पूजता उनको ही 

रोली, चंदन और हारों से 

जो लड़े हमेशा डरे नहीं 

प्रज्वलित हुए अंगारों से 

तम चीर दीप्त हो करके तुम 

क्रूरों पर सदा प्रहार करो 

मन मस्तिष्क से आत्मसात् 

नव वर्ष का बस ये सार करो । 


सौंदर्य देख कमजोर न हो 

ना चाह करो तुम उस तन की 

छवि अंतर्मन में ना रख तू 

उसके कुसुमित मृदु आनन की 

करती विचलित ये तुझे वासना 

इस सत्य को भी स्वीकार करो 

मन मस्तिष्क से आत्मसात् 

नव वर्ष का बस ये सार करो । 


प्रण कर ले कि लक्ष्य प्राप्त 

करके ही वापस लौटूंगा 

राह कठिन हो कंकड़ कांटे 

थककर कभी न बैठूंगा 

'एहसास' करो इस जीवन को 

ना जीवन ऐसे भार करो 

मन मस्तिष्क से आत्मसात् 

नव वर्ष का बस ये सार करो। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational