जीवन के रंग
जीवन के रंग
जीवन के इस बगिया में
दो फूल कहीं खिल जाते हैं
राहों पर चलते-चलते
काँटे भी कहीं मिल जाते हैं
खुशियों से भरा जब जीवन हो
हर दिन दीवाली लगता है
जब कष्ट पड़ा हो जीवन में
हर पल क्यूँ खाली लगता है
दिन के उजियारों के संग
हर लोग साथ में चलते हैं
पर अँधियारों के आते ही
हर लोग किनारा करते हैं
पर ऐ पथिक ! तू मत घबरा,
चलता चला जा इन राहों पर
जो आज किनारा करते हैं,
कल तुम्हे मिलेंगे इन राहों पर