हमारा रिश्ता
हमारा रिश्ता
हमारा अनकहा रिश्ता बयाँ लफ्जों में क्या होगा ?
जो हैं नाराज उनके कौन से रिश्तों में क्या होगा ?
अभी मैने लुटाया है मेरा ये प्यार सारा जब
जो है सारा खरीदा वो कभी किश्तों में क्या होगा ?
जहाँ मैं हरघडी रोया वही निकली हँसी शायद
गली दूजी मैं ढूँढा था वही वो थी बसी शायद,
बहाना और ना बन पा सका है मुझसे कुछ ऐसा
बहाने ना बनाने की मेरी आदत फँसी शायद।
कहाँ सागर कहाँ सरिता कहाँ पंछी कहाँ मंजिल
कहाँ आँखे कहाँ बातें कहाँ रुह है कहाँ है दिल,
अभी तक मेरी खामोशी सही ना जा सकी तुझसे
मेरा था कत्ल ना जाने हुआ तुझसे ऐ कातिल।