कशमकश
कशमकश
ये अपना वक्त है लेकिन वो गैरों का जमाना है
किसे तकदीर है मालूम बुरा ना ये फ़साना है,
अभी तक वो खफ़ा हैं पर हमें उनको मनाना है
समझ जाए वो रिश्तों की महत्ता ये बहाना है।
किसी ने दर्द है झेला किसी ने की शरारत है
किसी ने बोल दी गाली किसी ने की इबादत है,
किसे पूछे करे किस से जवाबी तौर पर वादा
आवर्तन है ये जन्मों का ये जीना शहादत है।
सभी जीते यहाँ रिश्ते कभी मरती ना आदत है
अभी पूछो घड़ी से वो करे किसकी वकालत है?
है रहते याद लोगों को बुरे सपने बहुत दिन तक
ढली है रात हालांकि यही उसकी नज़ाकत है।
बनाओ खूब से रिश्ते निभाओ खूब से रिश्ते
बताओ खूब से रिश्ते ज़ताओ खूब से रिश्ते,
अगर ना है लगन तुम को अगर कोई मुसीबत है
हटाओ खूब से रिश्ते घटाओ खूब से रिश्ते।
वो इक दिन आएगा ऐसा जब ना हम ना तुम होंगे
करेंगे किससे शिकवा और किसे नाराज़ देखेंगे?
तो है किस बात की चिंता जियो तुम और जीने दो
मनाओ हर घड़ी ख़ुशियाँ यही वो राज़ सीखेंगे।