ख़त-ए-इज़हार
ख़त-ए-इज़हार
प्यारभरी दास्तान मैं सुनाने जा रहा हूँ तुम्हें
एक लम्हा प्यार का जताने जा रहा हूँ तुम्हें,
फिर ना कहना इजहार मुझसे प्यार का किया नहीं जाता
एक अनकही कहानी आज बताने जा रहा हूँ तुम्हे।
एक ही वो एहसास हो तुम जो भरा है मेरे मन में
एक ही वो ख्वाब हो जो देखा है मैने जीवन में,
मुझे भाते हो तुम इतना ही है बस कहना तुमको
ढेर सारी खुशियाँ ला रख दूँ तुम्हारे दामन में।
राह देख रहा हूँ इस खत का जवाब मुझे तुमसे मिले
मुझसे मिलने आओगी तुम जब दिन ढले,
हाँ हो या ना हो जो कुछ भी हो बता देना
हमसफर हमेशा रहें हम दुआ करता हूँ,
हमारा साथ जिंदगीभर चले।