आखरी अलविदा माँ !
आखरी अलविदा माँ !
कुछ सूना सूना सा कुछ तन्हा सा यह सफर रह गया
नाता टूट चुका, सोंचते ही आँसूं का दरिया बह गया।
ए माँ तुम्हारा अनजाना सफर जो अब शरू हुआ
लगता है कारवां हमारा कहीं अब कहीं ढह गया।
बीता हुआ कल कोई सपना नहीं ,है एक हकीकत
न जाने आस्मां से यह कैसा रंग बह गया।
डर लगता है मुझे एक अनजाने सन्नाटे से
तुम चल दी अपने रास्ते, मेरा सफर कुछ रह गया।
पड़ेंगे काटने यह सफर बस तेरे बिन अकेले अकेले
क्यों है ऐसा लगता माँ, कुछ कहना सुनना रह गया।
जीवन है एक संगर्ष , उम्मीद एक पतवार
चुपके से न जाने कौन यह कानों में कह गया
अब राहें है जुदा हमारी , ठिकाने भी जुदा जुदा
है तय मिलना एक दिन, होले से दिल अलविदा कह गया।