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Ratna Kaul Bhardwaj

Classics Inspirational

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Ratna Kaul Bhardwaj

Classics Inspirational

दिल का कर्ज़

दिल का कर्ज़

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 गमों को दांतों तले चबाया
लबों को थोड़ा सा फैलाया
उम्मीदों के चराग जलाकर
मैने दिल का कर्ज़ चुकाया

 दिल को एक वजह दीजिए
हरकतें इसकी नाज़ुक है
अपनेपन की एक झलक से
रोते हुए भी यह मुसकाया

 दिल की गहरी खामोशी में
 खामोश सी तड़प होती है
धड़कनों को रोक कर
बढ़ों बढ़ों को इसने रुलाया

 दिल के तारों को छेड़ना
मानो अंगारों से खेलना
इसमें डूबकर जिसने देखा
समुद्र से गहरा इसको पाया

 हम भी एक मुसाफिर हैं
 राहों में पत्थर बिछे मिले
जब जब हम हताश हुए
दिल ने अपना हाथ थमाया

 उम्मीदों के चराग जलाकर
 मैने दिल का कर्ज़ चुकाया....

 ✍🏼रतना कौल भारद्वाज


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