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Ratna Kaul Bhardwaj

Romance Classics

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Ratna Kaul Bhardwaj

Romance Classics

तू ही इबादत

तू ही इबादत

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इनायत भी थी तेरी और अदावत भी
हमीं से थी मोहब्बत और नफ़रत भी

उन रिश्तों का कहो क्या अंजाम है
जहां बचा कुछ नहीं बस खिलाफत ही

नहीं चाहिए रियायत तेरे बाहुपाश से
तू ही है खुदा मेरा, और है इबादत भी

मैं संभाल लूंगी उलझनें जिंदगी की
हो तेरी जिंदगी मुक्कमल, मेरी गुरबत ही

खुश थे हम अपने सिमटे दयार में 
तुझसे दिल लगा, हिस्से आई बलाफत ही

तेरा जाना सांसों में कयामत बन जाएगा
सुकून रूठ जाएगा, रूह की रूहानियत भी

✍🏼 रतना कौल भारद्वाज 


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