STORYMIRROR

Ratna Kaul Bhardwaj

Romance Classics

4  

Ratna Kaul Bhardwaj

Romance Classics

तू ही इबादत

तू ही इबादत

1 min
13

इनायत भी थी तेरी और अदावत भी
हमीं से थी मोहब्बत और नफ़रत भी

उन रिश्तों का कहो क्या अंजाम है
जहां बचा कुछ नहीं बस खिलाफत ही

नहीं चाहिए रियायत तेरे बाहुपाश से
तू ही है खुदा मेरा, और है इबादत भी

मैं संभाल लूंगी उलझनें जिंदगी की
हो तेरी जिंदगी मुक्कमल, मेरी गुरबत ही

खुश थे हम अपने सिमटे दयार में 
तुझसे दिल लगा, हिस्से आई बलाफत ही

तेरा जाना सांसों में कयामत बन जाएगा
सुकून रूठ जाएगा, रूह की रूहानियत भी

✍🏼 रतना कौल भारद्वाज 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance