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Miss•pranjal verma

Romance

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Miss•pranjal verma

Romance

इश्क़-ए-बदनाम

इश्क़-ए-बदनाम

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412


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इश्क़ की बात मत करो मुझसे


इश्क़ की बात मत करो मुझसे

मैंने उसे दूर से किसी और का होते देखा है

मैंने उसके नाम में खुद को खोते देखा है

मैंने उसकी आँखों में झूठा प्यार देखा है

मैंने अपने महबूब को उसके महबूब के साथ देखा है

मैं कहती हूँ

इश्क़ की बात मत करो मुझसे

मैं टूट चुकी हूँ इस मोहब्बत के किरदार में


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इश्क़ की बात मत करो मुझसे -2


इश्क़ की बात मत करो मुझसे,

मेरी रगों में दुख बहता है।

मोहब्बत के चाँद तारों से क्या,

मेरा आसमान तो अंधेरों से रहता है।


दिल के शहर में वीरानियों का राज़ है,

ना कोई मेहमान, ना कोई साज़ है।

जो आए थे रोशनी बनके कभी,

अब सिर्फ़ यादों के साए साथ हैं।



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एक रात एक बात लिखूँगा


एक रात एक बात लिखूँगा,

तेरा नाम चाँद पर लिखूँगा,

हवाओं से तेरी बातें करूँगा,

तुझे याद करके फिर मुस्कुराऊँगा।



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एक रात एक बात लिखूँगा -2


एक रात एक बात लिखूँगा

तू मेरा है ये ख़्वाब देखूँगा

बीत गए वो पल

जब तू मेरा था और मैं किसी और का।



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छाँव में लिपटी यादें


बिछड़ कर भी तेरा साया साथ चला,

दीवारों पर अधूरी मोहब्बत का सिलसिला।

तू दूर गया, मैं भी चल पड़ी,

पर सायों में अब भी तेरा अक्स मिला।


तेरे बिना राहें सुनसान सी लगती हैं,

ख़ामोशी भी तेरी आवाज़ सी लगती है।

तू पास नहीं, मगर एहसास तो है,

इन सायों में अब भी तेरा साथ तो है।



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मोहब्बत


जो पास होकर भी दूर रहे,

उसे मज़बूरी कहते हैं x2

जो दूर होकर भी पास रहे,

उसे इश्क़ इबादत कहते हैं।



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मेरा अफ़साना


तेज़ दुनिया के शोर में, इक रिश्ता अनसुना सा,

वो सख़्त दुनिया के लिए, मेरे सामने मासूम बना सा।


नाम से नहीं बुलाता, मगर प्यार छुपा है,

हर नाम में उसके, एक एहसास जुड़ा है।


महफ़िल में सख़्त, मगर मेरे सामने नरम,

मैं जानती हूँ उसे, जैसे कोई और नहीं सनम।


फ़ासले रखे हैं, इम्तिहान के लिए,

देखें, लौटेगा वो, या सिर्फ़ यादें रह जाएँगी सफ़र के लिए।



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मेरा इश्क़


सख़्त दुनिया के लिए पत्थर सा है,

पर मेरे आगे मोम सा बहता है।


नाम नहीं लेता, पर एहसास जताता है,

हर दूरी में भी अपना बनाता है।



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बर्बाद इश्क़ में


मुझे कम उम्र में मोहब्बत की हवाओं ने छुआ,

कि इस जनम में हम बर्बाद हो गए।


ऐ ख़ुदा! एक मौका और दे,

जब वो मेरे प्यार में तड़पे,


और हम उस पर हंस सकें।



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इश्क़


"वो मेरी असलियत ना सही, ख़्वाबों की खुशियाँ ज़रूर है,

ये इश्क़ है साहिब!!

उसके धोखे में भी ख़ुशी मिल जाती है 🫀"



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ऐसा तूने क्या किया


ऐसा तूने क्या किया

जो मैंने ये दिल खो दिया

ऐसा क्या हुआ तेरे इश्क़ में

जो मेरा दिल बिखर गया


नादान था, वो इश्क़ एकतरफ़ा था

न जाने कितना ही करीब था वो

जो पल भर में आँखों की धूल बन गया


वो इश्क़ ही था, इश्क़ ही है, इश्क़ ही रहेगा

अज़ार कितने भी हो मोहब्बत में तेरी

मेरी मोहब्बत में कमी नहीं रहेगी


माँगा तो कभी नहीं था ख़ुदा से तब तुझे

फिर न जाने ये फ़ितूर कैसे चढ़ गया

जो गली-गली में तुझे अपना बता दिया


ना जाने कैसा भोला पन था वो तेरा

जो तू मुझसे रूठ गया

मेरे सपनों का स्थान

जो किसी और के नाम मशहूर हो गया।


कैसा नसीब है मेरा!!

जो तू मुझे मिल के भी ना मिला!!



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ना चाँद अपना था


ना चाँद अपना था,

ना तू अपना था।

काश ये दिल मान ले,

कि तू बस सपना था।



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