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Rajit ram Ranjan

Romance

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Rajit ram Ranjan

Romance

आँखों में शाम !

आँखों में शाम !

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पीछा तुम्हारा करता हूँ,

औऱ तुम हो कि नापसंद करती हो, 

दिल में प्यार नहीं या ज़माने से डरती हो, 

तुम्हारे इस खूबसूरत चेहरे का दीवाना नहीं,  


मैं तो तुम्हारी सादगी पे मरता हूँ, 

दिलों-ओ-जान से इश्क़ हैं तुमसे, 

ज़माने से नहीं डरता हूँ, 

जिस्मों का सौदागर नहीं औऱ

ना ही निकम्मा,आवारा हूँ


मैं रांझा-हीर,रोमियों-जूलियट,

लैला-मजनू,श्री-फ़रहाद नहीं, 

तुम्हारे इश्क़ का मारा हूँ

मेरा गुनाह क्या हैं बाबू, 

बस इश्क़ तुमसे करता हूँ,

 

मुझे दुनिया कि दौलत-शोहरत नहीं

बस साथ चाहिए. 

तुम मेरी बाहों से लिपटी रहो, 

औऱ हाथों में हाथ चाहिए

तुम्हारी आँखों में शाम औऱ

बाहों में सवेरा करता हूँ।


पीछा तुम्हारा करता हूँ,

और तुम हो कि नापसंद करती हो !


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