बेवफ़ा तेरे ग़म!
बेवफ़ा तेरे ग़म!
ख़त्म करके
मोहब्बत की हर निशानी,
ताजमहल में
तेरा हर ख़त
दफ़ना के आया हूं।
बेवफा तेरे ग़म में भी,
मुस्कुराके आया हूं,
सदियों पुरानी
आलमारी में रखी,
तेरी वो वाली तस्वीर भी
जलाके आया हूं,
ए खुदा मुझे जन्नत बक्शना,
हसीनों वाले सब शौक,
मिटाकर आया हूं।
बेवफा तेरे ग़म में भी,
मुस्कुराके आया हूं।

