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Rajit ram Ranjan

Drama Romance Fantasy

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Rajit ram Ranjan

Drama Romance Fantasy

दिसंबर का वो दो दिन..!

दिसंबर का वो दो दिन..!

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कोहरे कि हल्की-हल्की

सी बरसात,

सर्द से भरी दिसंबर कि वो रात,

हमारी पहली मुलाक़ात,

आँखों का आँखों से टकराना,

जुल्फों का बिखरना,

होंठों का मुस्कराना,

चेहरे का शरमाना,

कमर का बलखाना,

रात 29 दिसंबर का कंपकंपाना,

सब अंगुलियों पे लेता हूँ गिन,

बड़ा याद आता है,

दिसंबर का वो तीन दिन..!


बीत गए थे 7 साल 

पर अपने थे आज भी वही हाल 

दिल से मिटा ही नहीं पाए थे ,

अभी भी उसके ख्याल ,

मुझमें में वो ऐसे समाई थी ,

जैसे मेरी ही परछाई थी,

अब नींद भी नहीं आती थी रातों में ,

इश्क के ऐसे हालातों में ,

बह गए थे हम जज्बातों में ,

कुछ होश था तो बस यही 

हमारी पहली मुलाक़ात,

आँखों का आँखों से टकराना,

जुल्फों का बिखरना,

होंठों का मुस्कराना,

चेहरे का शरमाना,

कमर का बलखाना,

रात 29 दिसंबर का कंपकंपाना,

सब अंगुलियों पे लेता हूँ गिन,

बड़ा याद आता हैं,

दिसंबर का वो तीन दिन..!



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