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AKIB JAVED

Abstract Drama Romance

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AKIB JAVED

Abstract Drama Romance

रुख़ से नक़ाब को यूं हटाने का शुक्रिया

रुख़ से नक़ाब को यूं हटाने का शुक्रिया

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रुख़ से नक़ाब को यूं हटाने का शुक्रिया

बदली में है जो चाँद दिखाने का शुक्रिया


जो आशियाँ बनाये खुले आसमान को

ऐसों की यार भूख मिटाने का शुक्रिया


थे कल तलक अज़ीज़ मगर आज बेवफ़ा

ए दिल फरेबी यार भुलाने का शुक्रिया


मसरूफ़ हो गए हो ज़माने में यार तुम

आवाज दे के मुझको बुलाने का शुक्रिया


बीवी की बात माननी पड़ती है जो भी हो

आदाब हमको उनका बजाने का शुक्रिया


मज़लूम जान मुझको गले से लगा लिया

मुझसे ही मेरा दर्द चुराने का शुक्रिया


मुश्किल है वक्त ये भी गुज़र जाएगा मगर

ज़ख्मों को मेरे यार गिनाने का शुक्रिया


ले आई किस मुकाम पे ये बेबसी मिरी

मुझको नए रिवाज सिखाने का शुक्रिया


डूबे है सरे- शाम यहाँ बेखुदी में हम

'आकिब' को यूं नज़र से पिलाने का शुक्रिया



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