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Neha Pandey

Abstract Inspirational

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Neha Pandey

Abstract Inspirational

मैं इस युग की नारी हूं

मैं इस युग की नारी हूं

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पेड़ भले ही पुरुष हुआ 

उसकी जड़ तो नारी है,

फ़ूल भले ही नर बने 

पर कली तो उसकी नारी।

 

सूरज भले ही पुरुष हुआ

रौशनी तो उसकी नारी है,

ब्रम्हांड भले ही नर हुआ 

उसी की धरती नारी है।


समुद्र भी तो नर बन बैठा 

पर उसमें बहने वाली

नदियां भी तो नारी है,

हिमालय भी अडिग खड़ा है 

पर उसकी चोटी नारी है।


मेरे नारीत्व का 

क्या मान नहीं तुमको,

जो हर बार जताने आते हो

मैं शिव में शक्ति,

आस्था में भक्ति 

कण-कण में बसने वाली हूं,

बेबस और लाचार नहीं 

मैं इस युग की नारी हूं।



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