प्रवाह पर रुद्र
प्रवाह पर रुद्र
आप बोल रहे हो, निर्मल जल भी बोलता
पर कोई है जो, अनकहे सिर्फ सुनता है ।
प्रयाग में मेरा रुद्र, गंगे कलकल पे मौन
मै मध्यस्थ खड़ा सा, आवागमन निहारता।
आने पर ना हर्ष, और ना जाने पर शोक
जल बस आया, और कुछ कह कर गया ।
सब ढोया छाती पे, स्नेहमय आंचल बिछाए
अबोध बालक है तू, पर मेरा ही तो है तू ।
दूषण से दूषित किया और पाप भी दूषित
तू फिर भी मौन, मन जन्मांतर कलुषित।