माता रानी - जयकारा दोहे 2
माता रानी - जयकारा दोहे 2


लाल चुनर की ओट में, छुपे जग की पीर।
माता तेरे स्पर्श से, गरल बनता क्षीर।।
माता तेरे अर्पण की, मेरी क्या बिसात।
सब कुछ तेरा दिया है, जो भी मेरे पास।।
अलौकिक आनंद मिले, पहुंच जब श्रीखाल।
जीवन सत्य सार्थक हुआ, जय भैरव बगड़वाऴ।।
माता तेरी कृपा है, हर दिशा हर छोर।
हर होंठ पर तेरा नाम, जब भी होवे भोर।।
भगत की यही रीत है, मुक्ति की ही बस आस।
आंचल ही प्यारा लगे, चरण दीन का वास।।