विराम
विराम


किस पर
लगाऊं विराम
जब
खुद पर ही नहीं।
चलो
एक कोशिश करूं
एक बार
बदलाव ही सही
पर
उनका क्या
वो तो बोलेंगे
"भाई में अब वो बात नहीं।"
सोच पर विराम
जुबान पर विराम
कदमों पर विराम
हरकत पर विराम
खयालों पर विराम
ख्वाहिशों पर विराम
और
चाहतों मोह माया पर?
तो आखिर
इस जमाने के
साथ चलूं कैसे?
तो सुनो
औरों की
सुननी तो पड़ेगी
मशवरे भी
पर जिंदगी तो अपनी है।
अब
अपनी जिंदगी को
अपने हिसाब से जीता हूं।
विराम
कहां लगाना है
वो मैं ही सुनिश्चित करूंगा।