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संदीप सिंधवाल

Abstract Others

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संदीप सिंधवाल

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रास्ते

रास्ते

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रास्ते

कुछ बने होते हैं 

कुछ बनाने पड़ते हैं। 


खुद के बनाए रास्ते पर 

हम बहुत कम चलते हैं

क्योंकि इनको बनाने में

बहुत समय लग जाता है 

और जिंदगी बाकी काम है।


औरों के बनाए रास्तों 

पर बहुत लोग चलते हैं 

थोड़े अनजान जरूर होते हैं 

पर बहुत सुगम लगते हैं। 


तो सारी बात ये है 

कि सारे रास्ते

दूसरों के लिए बनाए जाते हैं।


हम भी पुरखों के 

रास्ते पर चलते हैं 

और अगली पीढ़ी से भी 

यही उम्मीद करते हैं 

कि वो हमारे रास्तों पर चलें।


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