बरसात की फुहारें
बरसात की फुहारें
बरसात की वो पहली बूंद,
धरती के दिल को छूने लगी,
सोंधी खुशबू से महक उठा,
हर कोना, हर गली।
आसमान में उमड़ते बादल,
जैसे कोई गीत गा रहे,
हरियाली की चादर बिछाकर,
धरती को नया जीवन दे रहे।
नदियों का संगीत बहे,
हर नदी की बाहें फैले,
पेड़ों की शाखें झूम उठें,
जैसे प्रकृति मस्ती में खेले।
मिट्टी की सौंधी महक,
हवा में घुली मिठास,
बूंदों की टपकती ताल,
जैसे हो कोई मधुर राग।
बच्चों की किलकारियों संग,
कागज़ की नावें तैरने लगीं,
उम्मीदों के पंख लगाकर,
हर दिल में नई ख़ुशियां खिली।
चाय की चुस्की, किताबों की बंधन,
मन में प्रेम का एक अहसास,
बरसात की ये रंगीन फुहारें,
दिल में भरती नई आस।
मौनसून का ये मधुर मिलन,
हर दिल में बस जाए,
जीवन की सूखी पगडंडी पर,
खुशियों की बरसात हो जाए ||
