STORYMIRROR

Kavita Sharrma

Abstract

3  

Kavita Sharrma

Abstract

श्री राम

श्री राम

1 min
203

जन जन के पूजनीय हैं श्री राम

श्रेष्ठ आचरण से ही बने वो महान

शिक्षा पाने गुरुकुल गये बढ़ाया गुरु का मान

राजतिलक जिनका होना था पिता ने दिया वनवास

एक भी प्रश्न पूछा नहीं उनसे, सहज किया स्वीकार

पिता के वचन का मान रखा छोड़ा सब राजपाट

संन्यासी बन चले सिया संग अनुज लखन के साथ

जब तक रहे राजमहल में श्री राम बन पाये 

चौदह वर्ष रहे जब वन में मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाये

उनके आगमन पर जन जन ने दीपक जलाए 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract