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Kavita Sharrma

Abstract

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श्री राम

श्री राम

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जन जन के पूजनीय हैं श्री राम

श्रेष्ठ आचरण से ही बने वो महान

शिक्षा पाने गुरुकुल गये बढ़ाया गुरु का मान

राजतिलक जिनका होना था पिता ने दिया वनवास

एक भी प्रश्न पूछा नहीं उनसे, सहज किया स्वीकार

पिता के वचन का मान रखा छोड़ा सब राजपाट

संन्यासी बन चले सिया संग अनुज लखन के साथ

जब तक रहे राजमहल में श्री राम बन पाये 

चौदह वर्ष रहे जब वन में मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाये

उनके आगमन पर जन जन ने दीपक जलाए 


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