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neha chaudhary

Abstract

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neha chaudhary

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आशाएं

आशाएं

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मत रख आशाएं ऐ दिल 

   क्यूँ गमों को बुलाएगा

जब बदलेंगी आशाएं, निराशा में

    तू कुछ ना समझ पायेगा

हर बक़्त हर घड़ी कम पड़ जायेगा

 जब जब आशाओं में निराशा को पायेगा

मत रख आशाएं ऐ दिल

   क्यूँ गमों को बुलाएगा..........

मैंने पल पल लोगों को मरते देखा है

   मैंने पल पल लोगों को बदलते देखा है

धोखा दिया है अपनों ने अपनों को

    अब इनसे क्या खुशियाँ पायेगा

मत रख आशाएं ऐ दिल

   क्यूँ गमों को बुलाएगा.......

तू बाँट इतनी खुशियाँ 

   जितने तारे आसमां में,

और बनना तू चन्द्रमा

   जो रौशनी कर दे निशा में

जब बात आये आशाओं की

  ऐ दिल, तू सूरज से प्रेरणा लेना

मत रखना आशाएं किसी से 

   चाहें स्वयं जलन सह लेना

अब भूल जा पुरानी बातों को

    तू  ख़ुश रहके दिखलाएगा

मत रख आशाएं ऐ दिल

   क्यूँ गमों को बुलाएगा..........



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