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neha chaudhary

Abstract

4.5  

neha chaudhary

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कोशिश की होती तो शायद......

कोशिश की होती तो शायद......

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कितना अजीब लगता है ना

जब अपनें दोस्तों को

बड़े दिनों बाद मिलते हैं

जब पता लगता है की जब हम

नौकरी की तलाश में घूम रहे थे


बो तब अपनें उँचाइओं की सीढ़ी

ढूंढ रहे थे..

हम संभाल रहे थे जिम्मेदारी अपनों की

बो जीवन की खुशियाँ ढूंढ रहे थे.

हमने शायद ताने भी सुने थे,

बो कहाँ पहुंच गया, तू कहाँ है

हर दिन यही सोच रहे थे

की शायद हम भी कुछ अच्छा कर सकते थे

यही सोच सोच कर दिन कट गए.


हम नहीं कर पाए

की कोशिश की होती तो शायद

 हम भी कर सकते थे.........

हर किसी ने ये तो सुना होगा

हर किसी ने ये तो सहा होगा

जरूर किसी ना किसी ने तो कहाँ होगा


कुछ नहीं कर पाया जीवन में

 ये सोच कर कभी ना कभी तो रोया होगा....

की काश कोशिश की होती तो शायद

हम भी कर सकते थे........ 


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