लिखना सिर्फ शौक नहीं है मेरा एक मित्र की तरह साथ देती हैं ये कहानियाँ, ये कविताएं l -------- नेहा चौधरी
याद उनको भी आता है माँ के हाथ का खाना याद उनको भी आता है माँ के हाथ का खाना
मां तुझे पता है, मैं हर दिन चोट खा रही हूँ घुट रही हूँ अंदर ही अंदर। मां तुझे पता है, मैं हर दिन चोट खा रही हूँ घुट रही हूँ अंदर ही अंदर।
वरना मैं चली उसकी गोद में मृत्यु कब से मुझे बुला रही है....... वरना मैं चली उसकी गोद में मृत्यु कब से मुझे बुला रही है.......
की काश कोशिश की होती तो शायद हम भी कर सकते थे........ की काश कोशिश की होती तो शायद हम भी कर सकते थे........
ऐसे करके तोड़ेंगे उनको की कोई भी ना जोड़ पायेगा उनको........ ऐसे करके तोड़ेंगे उनको की कोई भी ना जोड़ पायेगा उनको........
अब बढ़ चल आगे पीछे कभी ना मुड़ना तुझे लाख मिलेंगे डराने बाले पर तू कभी ना डरना......... अब बढ़ चल आगे पीछे कभी ना मुड़ना तुझे लाख मिलेंगे डराने बाले पर तू कभी ना डर...
मुस्कुराते हुए भी आंसू छिपाये हैं हमने अपनें दर्द किसी को ना बताये हैं मुस्कुराते हुए भी आंसू छिपाये हैं हमने अपनें दर्द किसी को ना बताये हैं
काश जिंदगी चलती हमारे हिसाब से तो कभी किसी की आँखों में आसूं ना आते..... काश जिंदगी चलती हमारे हिसाब से तो कभी किसी की आँखों में आसूं ना आते.....
नई साल की नई किरण है नया नया है मौसम...... हंस लो गा लो नाचों यारों माहौल बड़ा। नई साल की नई किरण है नया नया है मौसम...... हंस लो गा लो नाचों यारों ...
ये जिंदगी के फंडे कुछ समझ नहीं पाते हैं..... ये जिंदगी के फंडे कुछ समझ नहीं पाते हैं.. ये जिंदगी के फंडे कुछ समझ नहीं पाते हैं..... ये जिंदगी के फंडे कुछ समझ नहीं प...