कैसे बयां ना करुं उन पलों को
कैसे बयां ना करुं उन पलों को
लोग अक्सर मुझे कहते हैं
क्यूँ बयां करती हो, तुम गमों को
कभी खुशियाँ भी बयां किया करो
अब कैसे बताऊँ उन लोगों को
रिस्ता जिससे नजदीक का है
कैसे बयां ना करुं उन पलों को.....
कैसे बयां ना करुं उन पलों को.......
खुशियाँ तो दूर की मेहमान हैं
गम हमेशा से मेहरबान हैं
कई किस्से हैं जिंदगी के
जो मिल जाते हैं किसी ना किसी मोड़ पर
हर मोड़ पर मिली हूँ गमों को
कैसे बयां ना करुं उन पलों को.......
कैसे बयां ना करुं उन पलों को.......
मुस्कुराते हुए भी आंसू छिपाये हैं
हमने अपनें दर्द किसी को ना बताये हैं
घूंट पीकर रह गए आसुओं के
तिनके के बहाने, कई बार बनाये हैं
अब कैसे संभालू अपनें दिल को
कैसे बयां ना करुं उन पलों को......
कैसे बयां ना करुं उन पलों को......